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Channel: वसंत पंचमी
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सुमित्रानंदन पंत की कविता- फिर वसंत की आत्मा आई

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फिर वसंत की आत्मा आई, मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण, अभिवादन करता भू का मन ! दीप्त दिशाओं के वातायन, प्रीति सांस-सा मलय समीरण,चंचल नील, नवल भू यौवन,फिर वसंत की आत्मा आई,आम्र मौर में गूंथ स्वर्ण कण, किंशुक को कर ज्वाल वसन तन !

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