$ 0 0 गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत राजा है ये ऋतुओं का आनंद है अनंत। पीत सोन वस्त्रों से सजी है आज धरती आंचल में अपने सौंधी-सौंधी गंध भरती।